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मुहावरे / हिन्दी व्याकरण /Idioms/ 300+


हिन्दी व्याकरण /मुहावरे/ 300+

विगत परीक्षा में आए हुए एवं अन्य महत्वपूर्ण / Important for UPSC/SPCS/RAS/RSSB/RPSC सभी राज्य एवं केन्द्र की भर्तियो के लिए महत्वपूर्ण 




 मुहावरे : - Idioms


 * अंग-अंग ढीला होना (शरीर में स्फूर्ति न रहना)- निरंतर अधिक परिश्रम करने से अंग-अंग ढीला हो जाता है।


* अंग-अंग फड़कना (उत्साह एवं ऊर्जा से भरपूर होना)- अच्छे खिलाड़ी ‌द्वारा मैदान चौके-छक्के लगाने पर दर्शकों के अंग-अंग फड़कने लगते हैं।


* अंग-अंग फूले न समाना (अति प्रसन्न होना)- परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर, विपुल अंग-अंग फूले न समा रहा था।


* अंगद का पैर होना (दृढ़ होना) कभी-कभी रिश्तेदार अपनी अपेक्षाओं को लेकर इस प्रकार अड़ जाते हैं मानो अंगद के पैर हो गए हों।


* अंगारे बरसना (अत्यधिक गरमी पड़ना) _ ग्रीष्म ऋतु में धरती अंगारे बरसाने लगती है।


* अंगारे सिर पर धरना (बहुत दुःख सहना)- गरीब को आजीवन सिर पर अंगारे धरकर चलना पड़ता है।


* अंगारे उगलना (क्रोध में लाल-पीला होना, कटु कथन कहना) अभिमन्यु की चक्रव्यूह में मृत्यु के बाद अर्जुन कौरवों पर अंगारे उगलने लगा।


* अंगारों पर पैर रखना (संकटपूर्ण कार्य करना) सर्कस में शेरों के बीच कार्य करना आसान नहीं है, अंगारों पर पैर रखना है।


* अंगुलियों पर नचाना (वश में करना) कठोर प्रबंधक अपने कर्मचारियों को अपनी अंगुलियों पर नचाते हैं।


* अंगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना (थोड़ा लाभ पाकर बड़े लाभ की प्राप्ति के लिए बढ़ना)- स्वार्थी लोग पहले किसी सामर्थ्यवान की अँगुली पकड़ते हैं और कुछ समय बाद उसका पहुँचा पकड़ने लग जाते हैं।


* अंडे सेना (घर में ही बैठे रहना) - बाहर निकलो, कुछ काम करो, घर में ही पड़े-पड़े अंडे सेते रहने से कुछ नहीं होगा।


* अंधाधुंध लुटाना (अर्थ/घन का अपव्यय करना) - शराब की बुरी लत लगने के कारण बेटे ने पिता की संपत्ति को अंधाधुंध लुटा दिया।


* अंधेर खाता (नियम विरुद्ध कार्य करना) - आज नौकरी पाने के लिए सिफारिश से अयोग्य व्यक्ति का भी चयन हो जाता है। वाह ! क्या अंधेर खाता है।


* अक्ल का अंधा होना (महामूर्ख)- समझदार व्यक्ति भी कभी-कभी अहंकार के वशीभूत होकर गलत आचरण कर अक्ल के अंधे हो जाते हैं।


* अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) - अनपढ़ लोग अक्ल के दुश्मन होते हैं, जनसंख्या बढ़ाते जाते हैं और गरीब बने रहते हैं।


* अक्ल के घोड़े दौड़ाना (केबल कल्पनाएँ करते रहना) अक्ल के घोड़े दौड़ाते रहने से कुछ नहीं होगा, जमकर मेहनत करनी होगी तभी सफलता मिलेगी।


* अगर-मगर करना (बहाना बनाना)- आपको मेरी लड़की के विवाह में आना ही होगा, अगर-मगर करने से काम नहीं चलेगा।


* अग्नि परीक्षा (कठिन, कठोर जाँच) - कलियुग में सच्चे व्यक्ति को जीवन में अनेक बार अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है।


* अचार बनाना (बहुत मारना) - लड़कियों के साथ अभद्रता एवं छीना-झपटी करने पर बहाँ के लोगों ने अराजक तत्त्वों को पकड़ कर उनका अचार बना दिया।


* अच्छे घर बयाना देना (अपने से अधिक सामर्थ्यवान (बलवान) से दुश्मनी मोल लेना) - आजकल के छुटभैया राजनेता भी अच्छे घर बयाना देने से बाज़ नहीं आते।


* अठखेलियाँ सूझना (हँसी-मजाक करना, गंभीर न होना) - मुझे विषम परिस्थितियों में देखकर भी तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रही हैं।


* अड़ियल टट्टू (जिद्दी) - हमें मालूम है वह चुनाव में हारेगा, किंतु वह अड़ियल टट्टू है, अगर खड़ा हो गया तो हर्गिज़ नहीं बैठेगा।


* अंडा फूट जाना/भंडा फूटना (भेद खुल जाना)- झूठ का एक-न-एक-दिन अंडा फूट ही जाता है। 


* अंडे का शहज़ादा (अनुभवहीन) - प्रत्येक व्यक्ति धीरे-धीरे अनुभव प्राप्त कर परिपक्व होता है, पहले तो वह अंडे का शहजादा ही रहता है।


* अंत पाना (रहस्य जानना) - ईश्वर की लीला का अंत पाना कठिन है।


* अंधा बनना (जानबूझकर अनभिज्ञ बनना) - सही राय देने पर भी कोई नहीं माने तो यही कहा जाएगा भाई, तुम्हारी मर्जी है, तुम जान बूझकर अंधे बन रहे हो।


* अंधा होना (विवेकहीन होना) - धन एवं पुत्र मोह होता ही ऐसा है कि प्रायः हर पिता उस में अंधा हो जाता है।


* अन्न-जल उठना (एक स्थान पर रहने का संबंध टूट जाना) - नौकरी में जयपुर से ज्यों ही बाड़मेर तबादला हुआ मेरा तो जयपुर से अन्न-जल ही उठ गया।


* अपना अपना है, पराया पराया (अपने-पराये का ज्ञान होना) – संकटकाल में अपने निकट के लोग ही साथ देते हैं, इसी से सिद्ध होता है कि अपना अपना है, पराया पराया।


* अपना उल्लू सीधा करना (अपना स्वार्थ पूरा करना) - आज के जनप्रतिनिधि देशहित में नहीं सोच रहे, राजनीति के माध्यम से सब अपना-अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं।


* अपना रख पराया चख (अपना बचाकर दूसरों का हड़पने की प्रवृति रखना) - कुछ लोग दूसरों को देना नहीं चाहते लेकिन दूसरों से लेना ज़रूर चाहते हैं उनकी तो हमेशा कहाँ मनोवृत्ति रहती है कि अपना रख पराया चख।


* अपना राग अलापना (अपनी ही बातें करते रहना) - मैं तो उससे मदद माँगने गया बा, किंतु वह अपना हीं राग अलापता रहा, मेरी तो उसने सुनी हीं नहीं, अतः लौट आया। 


* अपना ही जोतते रहना (दूसरे की न सुनना अपनी ही बात करते रहना) - अहंकारी व्यक्ति दूसरों की नहीं सुनता, अपना ही जोतता रहता है।


* अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (असफल होने पर लज्जित होना) - महेश पढ़ाई को लेकर लापरवाह था और जब परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुआ तो वह अपना-सा मुँह लेकर रह गया।


* अपनी खाल में मस्त रहना (अपने-आप में संतुष्ट रहना) संतोषी व्यक्ति दीन- दुनिया से बेखबर रहकर अपनी ही खाल में मस्त रहता है।


* अपनी खिचड़ी अलग पकाना (अपनी बात सबसे अलग रखना) जो लोग मिलजुलकर नहीं चलते, अपनी खिचड़ी अलग ही पकाते रहते हैं ये समाज में अलग- थलग पड़ जाते हैं।


* अपनी गली में कुत्ता शेर (अपने इलाके (घर) में सब बलवान होते हैं)- मैं तुम्हारे |यहाँ आया हूँ तो तुम मुझे यहाँ अपमानित कर सकते हो; ठीक है दोस्त, अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।


* अपने पैरों कुल्हाड़ी मारना (अपना नुकसान स्वयं ही करना)- डॉक्टर के कहने के बावजूद राकेश ने ज़र्दा नहीं छोड़ा और गले में कैंसर हो गया। इसमें किसी का दोष नहीं, उसने अपने पैरों कुल्हाड़ी मारी है।


* अपने पैरों पर खड़ा होना (आत्मनिर्भर होना)- मैं अध्ययन पूर्ण करने के बाद अपनी जीविका-उपार्जन कर आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता हूँ। 


* अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी बड़ाई आप करना) - जन देखो तब सुशील अपने अपने मुँह मियाँ मिट्टू बना रहता है।


* अल्लाह मियाँ की गाय (सरल, सज्जन और सच्चा) - आकाश इतने सरल, सज्जन और सच्चा है कि हम सब दोस्त उन्हें अल्लाह मियाँ की गाय कहते हैं।


* आँख का काँटा होना (खटकना / बुरा लगना) - मैंने जैसे ही विश्वबिद्यालय में प्रथम आँख शातिर लोग हैं कि


* आँख का पानी गिर जाना (बेशर्म हो जाना) - जिसकी आँख का पानी गिर गया आपकी आँख से काजल चुरा लें। उससे जनता की सेवा करने की क्या उम्मीद कर सकते हो। 


* आँख की किरकिरी (बुरा लगना) - अर्पित मेरी प्रगति से जलता है, की किरकिरी बना हुआ हूँ।


* आंख न मिलाना (लज्जित होना) - राजकुमार मुझसे पैसे उधार ले गया, अब लौटाने के चक्कर में मुझसे आँख भी नहीं मिलाता।


* आंख निकालना (कुपित दृष्टि से देखना) - दहेज लोभी दूल्हे के पिता ने माँग पूरी नहीं होने पर बधू के पिता पर आँख निकाल कर कहा कि यदि माँग पूरी नहीं हुई तो शादी नहीं होगी।


* आँख बंद करके काम करना (लापरवाही के साथ काम करना) - जो लोग आँख बंद करके काम करते हैं उनके काम में बहुत गलतियाँ रहती हैं।


* आँख मिलाना (आमने-सामने बराबर ताकना) — मैं इतनी शर्मीली थी कि मारे शर्म के शिक्षिका से आँख न मिला पाती थी।


* आँख में गड़ना (दिल में चुभना, दुःखदायी होना) — बुरा व्यक्ति हर एक की आँख में गड़ता रहता है।


* आँख मैली करना (नीयत खराब करना) – सड़क पर किसी का पर्स गिरा देखकर लोग अपनी आँख मैली कर लेते हैं।


* आँख रखना (निगरानी रखना) में बाहर जा रहा हूँ दूध पर आँख रखना, बिल्ली न पी जाए। 


* आँख लगाना (चौकस रहना, निगाह रखना) - आप बराबर आँख लगाए रखना। यात्रा में सामान चोरी हो सकता है,


* आँख-कान खोलकर चलना (सावधान होकर चलना)- समय आँख कान खोलकर चलना चाहिए। व्यस्ततम मार्ग से गुजरते


* आँखे चढ़ना (नशे, नींद या पीड़ा से पलकों का तन जाना) - नशेड़ी की आँखें सदा चढ़ी रहती हैं। 


* आँखें तरसना (देखने के लिए आतुर होना)- पढ़ने के लिए बेटे के बाहर चले जानेपर उसको देखने के लिए उसके माँ-बाप की आँखें ही तरसती रहती हैं।


* आँखे पथरा जाना (प्रतीक्षा करते-करते आँखों का थक जाना)- पति की प्रतीक्षा करते-करते विरहिणी पत्नी की आँखें पथरा गई।


* आँखें बिछाना (प्रेमपूर्वक स्वागत करना) - बारातियों के स्वागत में घरातियों ने अपनी आँखें ही बिछा दी।


* आँखें खुलना (सजग होना) – वह हमेशा सामान कम तोलता रहा और मुझे मालूम नहीं पड़ा। मेरी तो तब आँखें खुलीं जब मैंने एक बार दूसरी जगह तुलवाया और सामान कम निकला।


* आँखें फेरना (उपेक्षा करना) - जब मैं पद पर था तो सब मेरा ध्यान रखते थे। अब सेवा-निवृत्त हो गया तो सबने आँखे फेर लीं, कोई मिलने तक नहीं आता।


* आँखें चमकना (प्रसन्न होना)- जब-जब भी भारतीय क्रिकेट टीम जीतती है, समस्त भारतीयों की आँखें चमक उठती है।   


* आँखें चार करना (आमना-सामना करना) - नायक से आँखें चार करते ही नायिका शरमा गई और मुस्कराकर चली गई।


* आँखें चुराना (आँख बचाना) (बचने की कोशिश करना, सामना नहीं करना) - जब से वह चोरी करते हुए पकड़ा गया, वह सामने नहीं आता, आँखें चुराता है।


* आँखें दिखाना (रौब मारना) - मैंने कोई गलती नहीं की जो आप मुझे आँखें दिखा हिरहे हैं।


* आँखें नीची होना (शर्म से दृष्टि न मिलाना) - तुम्हारी गलती की बजह से सबके सामने मेरी आँखें नीची हो गई। 


* आँखें बंद होना/आँखे मूंदना (मृत्यु हो जाना) - मैं अपने दादा जी से उनके अंतिम समय में बात भी नहीं कर सका। मेरे घर पहुँचने से पहले ही उनकी आँखें बंद हो चुकी थीं/आँखें मूंद चुकी थी।


* आँखें लड़ाना (प्रेम करना) - इस कॉलेज में पढ़ने आते हो कि आँखें लड़ाने।


* आँखों पर परदा पड़ना (जानकारी न होना) - पुत्र मोह के कारण उसकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है तभी तो उसे अपने पुत्र के कुकृत्य दिखाई नहीं देते।


* आँखों का तारा (बहुत प्रिय) - श्री कृष्ण गोकुल में सबकी आँखों के तारे थे।


* आँखों पर बिठाना (बहुत आदर, सत्कार, स्नेह करना)- हमारे देश की यह पहचान रही है कि हम अतिथियों को आँखों पर बिठाते हैं।


* आँखों में खून उतरना (गुस्से में आँखे लाल होना) - गाली सुनते ही उसकी आँखों दी में खून उत्तर आया और वह मारने के लिए लपका।


* आँखों में चर्बी छा जाना (घमंड होना) - उसका व्यापार क्या चल पड़ा उसकी आँखों में चर्बी छा गई।


 * आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) - किसी के साझे में व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा है, पता नहीं कौन आदमी कब किसकी आँखों में धूल झोंक दे।


* आँखों से गिरना (किसी का विश्वास खो देना)- दीपक की चालाकी पकड़ी गई अब वह घरवालों की आँखों से ही गिर गया है।


* आँगन में कौवा बोलना (प्रियजन के आने के संकेत) - क्या बात है भाभी। आज तो आँगन में कौवा बोल रहा होगा, भाई साहब जो आनेवाले हैं। 


* आँच न आने देना (कोई कष्ट, असुविधा न उत्पन्न होने देना) मैं चार वर्ष तक अपने मामा के घर रह कर पढ़ा किंतु, उन्होंने मुझे कोई आँच नहीं आने दी।


* आँचल में बाँधना/गाँठ बाँधना (किसी बात को अच्छी तरह याद रखना) - किसी को भी धोखा मत देना, यह बात आँचल में बाँध लो/ यह बात गाँठ बाँधकर रखो। 


* आँतें कुलबुलाना (बहुत कड़ी भूख लगना) - - मुझे सब-कुछ सहन हो जाता है, भूख सहन नहीं होती चार-पाँच घंटे श्रम करने के बाद मेरी आँतें कुलबुलाने लगती है। 


* आँसू पीना (चुपचाप दुःख सहन करना) - सुनील बहुत गंभीर व्यक्ति है। वह अपना दुःख किसी को कहता नहीं, बस आँसू पीता रहता है।


* आँधी के आम (अकस्मात / बिना परिश्रम सस्ते में मिली हुई चीज़) - धन, यौवन पर गर्व नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आँधी के आम की तरह हैं, थोड़े समय ही रहनेवाले हैं।


* आकाश का फूल (अप्राप्य बस्तु) - मंदी ऐसी आ गई है कि व्यापार से लाभ कमाना तो आकाश का फूल हो गया है। 


* आकाश के तारे गिनना (बिना सोये रात काटना) - बह कर्ज़ के मारे सो नहीं पाता, आकाश के तारे गिन-गिनकर रात काट रहा है।


* आकाश के तारे तोड़ना (असंभव-सा कार्य कर देना)- नेता जी ने ओज़ादी से पूर्व विदेशों में रहकर लाखों सैनिकों से आज़ाद हिंद फौज़ का गठन कर लिया। यहे आकाश के तारे तोड़ने जैसा कार्य था।


* आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचा होना) - मकर संक्रांति पर पतंगें इतनी ऊँची उड़ जाती हैं कि वे आकाश से बातें कर रही होती हैं।


* आकाश-पाताल एक करना (अत्यधिक प्रयास करना)- नौकरी लेने के लिए मोहित ने इतनी मेहनत की कि उसने आकाश पाताल एक कर दिया।


* अकाश - पाताल का अंतर होना (बहुत अधिक, अंतर होना) - मेरी बेटी व्याख्याता है और तुम्हारा बेटा पाँचवीं पास इनमें आकाश पाताल का अंतर है बताओ रिश्ता कैसे हो सकता है?.


* आग की तरह फैल जाना (तेजी से फैल जाना) - किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति की मृत्यु की खबर आग की तरह फैल जाती है।


* आग पर तेल छिड़कना (क्रोध को और बढ़ाना) कुछ व्यक्तियों को आपस में लड़ाने में सुख मिलता है। दो व्यक्तियों की लड़ाई में वे आग पर तेल छिड़कने का काम करते रहते हैं।


* आग में कूदना (ख़तरे का काम करना) - ख़तरनाक काम को करना, आग में कूदने जैसा है।


* आग में पानी डालना (क्रोध शांत करना) – समझदार लोग झगड़े को शांत करने के लिए सदैव आग में पानी डालने का काम करते हैं।


* आटे के साथ घुन पिसना (दोषी के साथ निर्दोष का दंडित होना) - बेटा, तुम्हारी मित्र-मंडली में शरारती, आचरणविहीन एवं बिगड़ैल लड़के हैं, उनके साथ उठना चब तुम्हारी दो, नहीं तो किसी दिन आटे के साथ घुन की तरह पिस जाओगे


* आटे-दाल का भाव मालूम होना (जीवन की कठिनाइयों का ज्ञान होना)- सोहन जब संयुक्त परिवार से अलग होकर दूसरी जगह रहने लगा तो घर चलाने का सारा भार उसी पर आ पड़ा और तभी उसे आटे-दाल का भाव मालूम पड़ा।


* आठ पहर चौसठ घड़ी (दिन रात, हर समय)- हर सैनिक को देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी आठ पहर चौसठ घड़ी निभानी चाहिए।


* आठ वार नौ त्योहार (हमेशा आनंद मंगल रहना) - संपन्न लोगों के ठाठ हैं उनके तो आठ वार नौ त्योहार रहते हैं।


* आड़े आना (बाधा डालना) - ईर्ष्यालु व्यक्ति हमेशा दूसरों की सफलता में आड़े आता रहता है।


* आड़े हाथों लेना (किसी की गलती पर उसकी खिंचाई करना) दोनों भाइयों ने माँ की जिम्मेदारी लेने से इंकार किया तो बहन ने दोनों भाइयों को आड़े हाथों लिया।


* आपा खोना (क्रोध के कारण कठोर व्यवहार करना)- क्रोध सभी को आता है किंतु हमें आपा नहीं खोना चाहिए।


* आपे से बाहर होना (किसी के व्यवहार से उत्तेजित होकर होश खो देना) - मेरा पक्ष जाने बिना आपको आपे से बाहर होना नहीं चाहिए।


* आफत की पुड़िया (मुसीबत पैदा करनेवाला व्यक्ति)- आपको मालूम हो जाएगा ताकि यह कामचोर नौकर कैसी आफ़त की पुड़िया है।


* आव देखा न ताव (बिना कुछ सोचे-समझे काम कर डालना) - कुछ व्यक्ति खुशी के मारे आव देखते हैं ना ताव और सामर्थ्य से ज़्यादा खर्च कर आर्थिक संकट में पड़ जाते हैं।


* आवाज़ उठाना (अपनी बात बुलंद स्वरों में रखना) - भारतीय विदेशमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ में आतंक विरोधी आवाज़ बुलंदगी के साथ उठाई। 


* आसन जमाना (ज़िद के साथ बैठना) - महाजन कर्ज़ की उगाही करने आए और कर्जदाता के ना-नुकुर करने पर महाजन तो वहीं आसन जमाकर बैठ गए।


* आसन डोलना (ताकत/सत्ता पर प्रभाव पड़ना) - ईमानदार जनता जब एक होकर बेईमान का मुकाबला करती है तो बड़े-बड़े नेताओं के आसन डोल जाते हैं।


* आसमान के तारे तोड़ना (असंभव काम करना) - प्रथम प्रयास में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन होना एक गाना घर के युवक का आसमान के तारे तोड़ने जैसा है।


* आसमान टूट पड़ना (बहुत बड़ी आपत्ति आना) - सरोज का एक ही लड़का था और - यह भी ऐक्सीडेंट में मारा गया। उस बेचारी पर तो आसमान ही टूट पड़ा।


* आस्तीन का साँप होना (निकट के व्यक्ति का विश्वासघाती होना) - आदमी को दुश्मनों से नहीं आस्तीन के साँपों से ख़तरा होता है। 


* आह पड़ना (किसी को सताने का फल मिलना)– ग़रीब को मत सताओ, उसकी आह पड़ जाएगी तो नष्ट हो जाओगे।


* ओठ चबाना (क्रोध करना) – वह बेचारा ताक़तवर गुण्डे से पिटकर कुछ नहीं कर सका, बस अपने ओठ चबाकर रह गया।


* ओखली में सिर देना (जानबूझ कर संकट में फँसना) - मैंने तुम्हें नरेश के झगड़े में फँसने से मना किया था, तुम नहीं माने, अब ओखली में सिर दे ही दिया है तो उसका साथ दो।


* ओठ तक न हिलना (मुख से शब्द न निकलना)- दहेज लोभी परिवार ने लड़की पर इतने अत्याचार किए किंतु उसके ओठ तक नहीं हिले।


* ओढ़ लेना (सिर पर लेना) सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र के बुरे कार्यों को भी अपने ऊपर ओढ़ लेता है।


* ओस पड़ जाना (शर्मसार हो जाना)- मेरी नौकरानी मेरे पर्स से पैसे चुरा रही थी अचानक मुझे सामने देखकर उस पर ओस पड़ गई।


* औंधे मुँह गिरना (पराजित होना) – परीक्षा के लिए कठोर मेहनत करो वरना औंधे मुँह गिरोगे।


* औने-पौने करना (कम कीमत आँकना) - मैंने अपना पुराना स्कूटर औने-पौने दामों में बेच दिया।


* इज़्ज़त अपने हाथ होना (अपनी प्रतिष्ठा अपने हाथ में होना) - किसी भी व्यक्ति का व्यवहार एवं चाल-चलन अच्छे हों तो ही इज़्ज़त होती है; सही है अपनी इज़्ज़त अपने हाथ ।


* इज़्ज़त में बट्टा लगाना (इज़्ज़त, प्रतिष्ठा ख़त्म करना) – सुबोध नशे का आदी हो गया है, उसने अपने परिवार की इज़्ज़त में बट्टा लगा दिया।


* इधर की दुनिया उधर हो जाना (असंभव का संभव होना) – पढ़ी-लिखी रमा ने कहा, चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाए मैं अनपढ़ से शादी नहीं करूँगी।


* इधर -उधर करना (टालमटोल करना) - जैसे ही मैंने हिसाब करने की बात की मोहन बात को इधर-उधर करने लगा।


* इलायची बाँटना (दावत देना) - व्यापार अच्छा चल रहा , इसलिए सुधीर आजकल अपने मित्रों को इलायची बाँटते फिर रहा है।


* इल्लत पालना (मुसीबत मोल लेना) - मैंने कोर्ट में दो पक्षों के विवाद में गवाही देकर इल्लत पाल ली है।


* इशारे पर नाचना (कहे अनुसार करना) - अजय द्वारा पुनीत को ऋण देने के बाद पुनीत अजय के इशारों पर नाच रहा है।






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